Wednesday, 18 January 2017

तू जिन्दा है तो जिन्दगी की जीत में यकीन कर tu zinda hai to zindagi ki jeet par

तू जिन्दा है, तो जिन्दगी की जीत में यकीन कर 
अगर कहीं है स्वर्ग तो, उतर ला जमीन पर 
ये गम के और चार दिन, सितम के और चार दिन 
ये दिन भी जायेंगे गुजर, गुजर गए हजार दिन 
कभी तो होगी, इस चमन पे भी बहार की नजर 
अगर कहीं है स्वर्ग तो, उतर ला जमीन पर 

तू जिन्दा है, तो जिन्दगी की जीत में यकीन कर 
सुबह और शाम के रंगे हुए गगन को चूम कर 
तू सुन, जमीं गा रही है कब से झूम कर 
तू आ मेरा श्रींगार कर, तू मुझे हसीं कर
अगर कहीं है स्वर्ग तो, उतर ला जमीन पर 

तू जिन्दा है, तो जिन्दगी की जीत में यकीन कर 
हजार भेष धर के आई मौत तेरे द्वार पर
मगर, तुझे न छल सकी; चली गयी वो हर कर
नयी सुबह के संग सदा तुझे मिली नयी उमर
अगर कहीं है स्वर्ग तो, उतर ला जमीन पर

तू जिन्दा है, तो जिन्दगी की जीत में यकीन कर 
हमारे कारवां को मंजिलों का इन्तेजार है 
ये आंधियों ये बिजलियों की पीठ पर सवार है
तू आ, कदम मिला के चल; चलेंगे एक साथ हम
अगर कहीं है स्वर्ग तो, उतर ला जमीन पर 

जमीं के पेट में पली, अगर; पले हैं जलजले 
नीके न टिक सकेंगे, भूख रोग के स्वराज ये 
मुसीबतों के सर कुचल, चलेंगे एक साथ हम
अगर कहीं है स्वर्ग तो, उतर ला जमीन पर 

 बुरी है अगर पेट की, बुरे हैं दिल के दाग ये 
न दब सकेंगे, एक दिन बनेंगे इन्कलाब ये 
मिटेंगे जुल्म के महल, बनेंगे फिर नविन घर 
अगर कहीं है स्वर्ग तो, उतर ला जमीन पर  


                                        - शंकर शैलेन्द्र 

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