Thursday 27 July 2017

नागपंचमी की शुभकामनाएं

नागपंचमी का पावन त्योहार सबके लिए मंगलकारी हो॥

         🌻 नागपंचमी अर्थात अंधकार में प्रकाश की सम्भावना।  नागों से भी यह शिक्षा लेना चाहिए कि जब तक नागदेवता को आप छेडेगे नही, तकलीफ नही देगे तक तक आपको कोंई क्षति नही पहुचायेगे ,जिस तरह भोलेनाथ प्राणी मात्र के कल्याण के लिए जहर पीकर देव से महादेव बन गए उसी प्रकार हमें भी समाज में व्याप्त निंदा, अपयश, उपेक्षा,और आलोचना रुपी जहर को पीकर मानव से महामानव बनना होगा।
        🌻भगवान् शिव का एक नाम आशुतोष भी है। जल धारा चढ़ाने मात्र से प्रसन्न होने वाले आशुतोष भगवान् शिव का यही सन्देश है कि आपको अपने जीवन में जो कुछ भी और जितना भी प्राप्त होता है, उसी में प्रसन्न और सन्तुष्ट रहना सीखें।
      🌻आओ इस महापर्व को सार्थक बनायें। भगवान् शिव के चरणों में प्रणाम करते हुए अपनी बुराइयों को दूर करने का व्रत हम सब लें ॥ क्योंकि - श्रावण में शिवजी का पूजन करते हुए बिचार करें। शिव होने का अर्थ है, एक ऐसा जीवन जो मैं और मेरे से ऊपर जिया गया हो। जहाँ जीवन तो है मगर जीवन के प्रति आसक्ति नहीं ,और जहाँ रिश्ते तो हैं ,मगर किसी के भी प्रति राग और द्वेष नहीं।
      🌻जहाँ प्रेम तो है मगर मोह नहीं और जहाँ अपनापन तो है मगर मेरापन नहीं। जहाँ ऐश्वर्य तो है मगर विलास नहीं ,और जहाँ साक्षात माँ अन्नपूर्णा है मगर भोग नहीं। जहाँ नृत्य भी है, संगीत भी है, त्याग भी है और योग भी है मगर अभिमान नहीं।
         🌻मित्रों पौराणिक कथाओं के आधार पर भगवान शेषनाग बनकर पूरी तरह से हमारी रक्षा का दायित्व लिया है ,यह पृथ्वी सहस्र फनों पर टिकी हुई है ,भगवान विष्णु क्षीरसागर पर सोते है ,शिवजी के गले मे नागों का ही हार है ,राजा जनमेजय ने अपने पिता के मृत्यु का बदला लेने के लिए सर्पयज्ञ कराया था जिसे ,आस्तीक मुनि ने ही  पंचमी के दिन सर्पयज्ञ बंद करबाया था, जिससे यह त्यौहार बडी धूम धाम से मनाया जाता है ,समुद्र मंथन के समय  भी कालिया नाग को रस्सी बनाकर मथने का कार्य किया इस कारण दुष्ट व्यक्ति मे भी उपकार की भावना धर्म की भावना जागृति हो जाय तो वो भी पूजनीय बन जाता है ऐसा महापुरुषों का कथन है
              🌻अतः इस त्योहार मे हम नागों की पूजा करते है नागकेसर बारह नामो से उनकी पूजा करते है ,धृतराष्ट्र ,कर्कोटक अश्वतर,शंखपाल ,पद्म ,कम्बल ,अनंत ,शेष ,वासुकी ,पागल्भ,तक्षक और कलिया इन नामो से पूजन करने से भगवान शिव तो प्रसन्न ही होते है साथ ही साथ नाग देवता भी हमे आक्षुण्य लाभ प्राप्त की प्राप्ति होती है ,धन यश,कीर्ति ,व्यापार आदि चीजो मे तरक्की होती है ऐसा शास्त्रो का मत है ॥
     🌻अतः जीवन कीहर परिस्थिति मे , और जब हम विषमता में भी जीना सीख जाएँ, जब हम निर्लिप्त रह कर बांटकर खाना सीख जाएँ और जब हम काम की जगह राम में जीना सीख जाएँ, वास्तव में शिव हो जाना ही है। नागपंचमी का त्योहार हमारे लिए पूर्णतया कल्याणकारी सावित होगा ।अतः यह त्योहार सभी के लिए कल्याणकारी हो ,धन धान्यकारी हो ॥

 लेखक: आचार्य भूपेन्द्र मिश्र