Thursday, 27 February 2025

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2025: युवा शक्ति और वैज्ञानिक प्रगति का उत्सव

हर साल 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (National Science Day) के रूप में मनाया जाता है।

यह दिन महान भारतीय वैज्ञानिक डॉ. सी. वी. रमन द्वारा खोजे गए "रमन प्रभाव" (Raman Effect) की स्मृति में समर्पित है, जिसके लिए उन्हें 1930 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था। यह दिन भारतीय वैज्ञानिक डॉ. सी. वी. रमन (Dr. C. V. Raman) द्वारा खोजे गए "रमन प्रभाव" (Raman Effect) की घोषणा के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। विज्ञान दिवस का उद्देश्य विज्ञान के प्रति जागरूकता बढ़ाना, वैज्ञानिक सोच को प्रोत्साहित करना और नवाचार को बढ़ावा देना है।

1928 में, डॉ. चंद्रशेखर वेंकट रमन ने एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक खोज की, जिसे "रमन प्रभाव" के नाम से जाना जाता है। इस खोज के लिए उन्हें 1930 में भौतिकी के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह भारत के लिए गौरव की बात थी क्योंकि वे पहले भारतीय वैज्ञानिक थे जिन्हें विज्ञान के क्षेत्र में यह सम्मान प्राप्त हुआ। इसी उपलब्धि की याद में राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) ने 1986 में 28 फरवरी को 'राष्ट्रीय विज्ञान दिवस' घोषित किया।

इस वर्ष राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2025 की थीम है: "वैज्ञानिक अनुसंधान और नवाचार में वैश्विक नेतृत्व हेतु भारतीय युवाओं को सशक्त बनाना" (Empowering Indian Youth for Global Leadership in Science & Innovation for Viksit Bharat)

इस थीम का मुख्य उद्देश्य युवा वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करना, भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियों को पहचान देना और वैश्विक विज्ञान एवं नवाचार में भारत की भूमिका को मजबूत करना है। "विकसित भारत" (Viksit Bharat) के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए, यह थीम युवा पीढ़ी को विज्ञान और तकनीकी अनुसंधान के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी।

डॉ. सी. वी. रमन और उनकी वैज्ञानिक उपलब्धियाँ

डॉ. चंद्रशेखर वेंकट रमन भारतीय विज्ञान जगत के महान वैज्ञानिक थे, जिन्होंने रमन प्रभाव की खोज की। इस प्रभाव के आधार पर स्पेक्ट्रोस्कोपी (Spectroscopy) की नई शाखा विकसित हुई, जो आज चिकित्सा, नैनोटेक्नोलॉजी, भौतिकी और खगोल विज्ञान में उपयोग की जाती है। इसके अलावा, उन्होंने ध्वनि तरंगों, प्रकाश के अपवर्तन और समुद्र के नीले रंग के वैज्ञानिक कारणों पर भी महत्वपूर्ण शोध किए।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का महत्व

1. युवाओं को विज्ञान और नवाचार के प्रति प्रेरित करना- यह दिवस छात्रों, शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों को अनुसंधान और नवाचार की दिशा में प्रेरित करता है। युवाओं को वैश्विक वैज्ञानिक नेतृत्व के लिए तैयार करने की दिशा में कार्य किया जाता है।

2. भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियों को उजागर करना-भारत के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की खोजों और नवाचारों को इस दिन विशेष रूप से सम्मानित किया जाता है।

3. नई वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देना- देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नई खोजों को प्रोत्साहित करने के लिए विज्ञान मेले, सेमिनार और व्याख्यान आयोजित किए जाते हैं।

4. वैश्विक विज्ञान में भारत की भूमिका को मजबूत करना-यह दिन भारत को विज्ञान और नवाचार के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित करने की दिशा में प्रेरित करता है।


राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2025 की थीम भारत के युवाओं को वैज्ञानिक अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व के लिए तैयार करने पर केंद्रित है। यह दिन न केवल वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देता है, बल्कि "विकसित भारत" के लक्ष्य को भी मजबूत करता है। डॉ. सी. वी. रमन की खोजों और विज्ञान में भारत की उपलब्धियों से प्रेरणा लेकर हमें वैज्ञानिक जागरूकता, अनुसंधान और नवाचार को आगे बढ़ाने का संकल्प लेना चाहिए।

Monday, 24 February 2025

माइक्रोसॉफ्ट वर्ड शार्ट कट की (MS Word Short-cut key)

MS Word के शॉर्टकट की


1. बेसिक शॉर्टकट कीज़ (Basic Shortcuts)

1. Ctrl + N – नया डॉक्यूमेंट बनाने के लिए

2. Ctrl + O – कोई डॉक्यूमेंट खोलने के लिए

3. Ctrl + S – डॉक्यूमेंट को सेव करने के लिए

4. Ctrl + P – डॉक्यूमेंट को प्रिंट करने के लिए

5. Ctrl + Z – पिछले किए गए कार्य को Undo करने के लिए

6. Ctrl + Y – Redo करने के लिए (Undo हटाने के लिए)


2. टेक्स्ट फॉर्मेटिंग (Text Formatting)

7. Ctrl + B – टेक्स्ट को बोल्ड करने के लिए

8. Ctrl + I – टेक्स्ट को इटैलिक करने के लिए

9. Ctrl + U – टेक्स्ट को अंडरलाइन करने के लिए

10. Ctrl + Shift + W – केवल शब्दों को अंडरलाइन करने के लिए

11. Ctrl + Shift + D – डबल अंडरलाइन करने के लिए

12. Ctrl + Shift + K – टेक्स्ट को Small Caps में बदलने के लिए

13. Ctrl + Shift + A – सभी अक्षरों को Capital Letters में बदलने के लिए


3. एडिटिंग से जुड़ी शॉर्टकट कीज़ (Editing Shortcuts)

14. Ctrl + C – टेक्स्ट को कॉपी करने के लिए

15. Ctrl + X – टेक्स्ट को कट करने के लिए

16. Ctrl + V – कॉपी या कट किए गए टेक्स्ट को पेस्ट करने के लिए

17. Ctrl + A – पूरे डॉक्यूमेंट को Select All करने के लिए

18. Ctrl + F – किसी शब्द को डॉक्यूमेंट में खोजने के लिए

19. Ctrl + H – किसी शब्द को बदलने के लिए Find & Replace


4. पैराग्राफ फॉर्मेटिंग (Paragraph Formatting)

20. Ctrl + E – टेक्स्ट को Center Align करने के लिए

21. Ctrl + L – टेक्स्ट को Left Align करने के लिए

22. Ctrl + R – टेक्स्ट को Right Align करने के लिए

23. Ctrl + J – टेक्स्ट को Justify करने के लिए

24. Ctrl + M – पैराग्राफ को Increase Indent करने के लिए

25. Ctrl + Shift + M – पैराग्राफ को Decrease Indent करने के लिए

26. Ctrl + 1 – सिंगल लाइन स्पेसिंग के लिए

27. Ctrl + 2 – डबल लाइन स्पेसिंग के लिए

28. Ctrl + 5 – 1.5 लाइन स्पेसिंग के लिए


5. नेविगेशन (Navigation)

29. Ctrl + → – अगला शब्द जाने के लिए

30. Ctrl + ← – पिछला शब्द जाने के लिए

31. Ctrl + ↓ – अगले पैराग्राफ में जाने के लिए

32. Ctrl + ↑ – पिछले पैराग्राफ में जाने के लिए

33. Ctrl + Home – डॉक्यूमेंट की शुरुआत में जाने के लिए

34. Ctrl + End – डॉक्यूमेंट के अंत में जाने के लिए


6. टेबल से जुड़ी शॉर्टकट कीज़ (Table Shortcuts)

35. Tab – अगली सेल में जाने के लिए

36. Shift + Tab – पिछली सेल में जाने के लिए

37. Alt + Shift + ↑ – पंक्ति (Row) को ऊपर ले जाने के लिए

38. Alt + Shift + ↓ – पंक्ति (Row) को नीचे ले जाने के लिए


7. अन्य महत्वपूर्ण शॉर्टकट कीज़ (Other Useful Shortcuts)

39. Ctrl + Shift + C – टेक्स्ट की Formatting Copy करने के लिए

40. Ctrl + Shift + V – टेक्स्ट की Formatting Paste करने के लिए

41. Ctrl + Shift + N – Normal स्टाइल लागू करने के लिए

42. Ctrl + Shift + L – बुलेट पॉइंट लगाने के लिए

43. F7 – स्पेलिंग और ग्रामर चेक करने के लिए

44. Shift + F3 – टेक्स्ट को लोअरकेस, अपरकेस या टाइटल केस में बदलने के लिए


8. विंडो और डॉक्यूमेंट से जुड़ी शॉर्टकट कीज़ (Window & Document Shortcuts)

45. Ctrl + W – डॉक्यूमेंट को बंद करने के लिए

46. Ctrl + F4 – वर्तमान विंडो को बंद करने के लिए

47. Alt + F4 – MS Word को बंद करने के लिए


Sunday, 23 February 2025

धरती का अनोखा पारिस्थितिक चमत्कार: 53 वर्ष से बिना पानी के विकसित हो रहा डेविड लैटिमर का "बॉटल गार्डन"

प्रकृति हमेशा हमें चौंकाने और मोहित करने की क्षमता रखती है। कुछ लोग अपने नवाचार और अद्वितीय विचारों से प्रकृति के साथ विशेष संबंध बनाते हैं। ऐसा ही एक अद्भुत उदाहरण है डेविड लैटिमर का "बॉटल गार्डन"। यह एक ऐसा पौधा है, जो लगभग 60 वर्षों से एक बंद बोतल में पूरी तरह से आत्मनिर्भर तरीके से पनप रहा है।

डेविड लैटिमर: एक अनोखे प्रयोग की शुरुआत

डेविड लैटिमर, जो इंग्लैंड के रहने वाले थे, एक उत्साही बागवानी प्रेमी थे। उन्होंने 1960 में एक अनोखा प्रयोग करने की सोची। उन्होंने एक बड़ी काँच की बोतल ली, उसमें थोड़ी मिट्टी डाली और उसमें स्पाइडरवॉर्ट (Tradescantia) का एक पौधा लगाया और बोतल को कॉर्क और सिलिकॉन से कसकर सील कर दिया ताकि बाहरी दुनिया के साथ हवा या पोषक तत्वों का कोई आदान-प्रदान न हो। उनका लक्ष्य यह देखना था कि क्या पौधों और उनके सूक्ष्मजीवी परिवेश के बीच परस्पर निर्भर संबंध बाहरी इनपुट के बिना अनिश्चित काल तक पोषक तत्वों और गैसों का चक्रण कर सकते हैं।

65 वर्षों से बिना बाहरी हस्तक्षेप के जीवित

डेविड ने केवल एक बार, 1972 में, इस बोतल को खोला था और उसमें थोड़ा सा पानी डाला था। उसके बाद, यह पूरी तरह से आत्मनिर्भर बन गया और बिना किसी देखभाल के विकसित होता रहा। यह प्रयोग यह दर्शाता है कि कैसे प्रकृति अपने संसाधनों का पुनर्चक्रण करके खुद को संतुलित रख सकती है।

कैसे काम करता है यह आत्मनिर्भर इकोसिस्टम?

डेविड का यह बॉटल गार्डन पूरी तरह से एक प्राकृतिक जैविक साइकिल पर आधारित है। सूर्य की रोशनी के कारण पौधे प्रकाश-संश्लेषण (Photosynthesis) करते हैं, जिससे ऑक्सीजन और नमी उत्पन्न होती है। यह नमी बोतल के अंदर संघनित होकर वापस मिट्टी में चली जाती है, जिससे पौधे को जल आपूर्ति मिलती रहती है। पत्तियों के झड़ने से जैविक अपशिष्ट मिट्टी में मिल जाता है और सूक्ष्मजीव इसे विघटित कर पोषक तत्वों में बदल देते हैं।बैक्टीरिया ने श्वसन के माध्यम से कार्बन डाइऑक्साइड और ऑक्सीजन को संतुलित करते हैं ।

लैटिमर का बोतल गार्डन ओहियो के सेनेकेवेल डिस्कवरी सेंटर में स्थायी रूप से प्रदर्शित है, जहाँ इसे लगभग 50 वर्षों की आत्मनिर्भरता के बाद 2008 में दान कर दिया गया था। आवर्धक कांच के नीचे, पर्यवेक्षक अभी भी जीवित पौधों की जड़ों को देख सकते हैं, जो संतुलित और जटिल लघु पारिस्थितिकी तंत्र की गवाही देते हैं जो अपने सीलबंद बोतल के खोल के अंदर छह दशकों से पूरी तरह से स्वतंत्र रूप से पनप रहा है।

Saturday, 15 February 2025

My Family and Me - Mridang Class 1 Chapter 1 (two Little Hands)

 Two little hands to clap, clap, clap.

टू लिटल हैंड्स टू क्लैप, क्लैप, क्लैप।


दो छोटे हाथ ताली बजाने के लिए, ताली, ताली, ताली।


Two little legs to tap, tap, tap.

टू लिटल लेग्स टू टैप, टैप, टैप।

दो छोटे पैर थपथपाने के लिए, थप, थप, थप।


Two little eyes are open wide.

टू लिटल आइज़ आर ओपन वाइड।

दो छोटी आँखें बड़ी होकर खुलती हैं।


One little head goes side to side.

वन लिटल हेड गोज़ साइड टू साइड।

एक छोटा सिर दाएँ-बाएँ हिलता है।


Two little eyes to look around.

टू लिटल आइज़ टू लुक अराउंड।

दो छोटी आँखें चारों ओर देखने के लिए।


Two little ears to hear any sound.

टू लिटल ईयर्स टू हीयर एनी साउंड।

दो छोटे कान कोई भी आवाज़ सुनने के लिए।


One little nose to smell and breathe.

वन लिटल नोज़ टू स्मेल एंड ब्रीद।

एक छोटी नाक सूंघने और सांस लेने के लिए।


One little mouth that likes to eat.

वन लिटल माउथ दैट लाइक्स टू ईट।

एक छोटा मुँह जो खाना पसंद करता है।


Hands to clap, legs to walk

हैंड्स टू क्लैप, लेग्स टू वॉक।

हाथ ताली बजाने के लिए, पैर चलने के लिए।


Nose to smell, mouth to talk

नोज़ टू स्मेल, माउथ टू टॉक।

नाक सूंघने के लिए, मुँह बोलने के लिए।


Head to move, eyes to see

हेड टू मूव, आइज़ टू सी।

सिर हिलाने के लिए, आँखें देखने के लिए।


I have a little body that belongs to me.

आई हैव अ लिटल बॉडी दैट बिलॉन्ग्स टू मी।

मेरे पास एक छोटा शरीर है जो मेरा अपना है


New words

hand-हैण्ड- हाथ 

leg-लेग -पैर 

head-हेड-सिर 

eye-आई- आँख 

nose- नोज- नाक 

mouth- माउथ- मुंह


Parts of Body - Mridang Class 1 Chapter 1 (Head, shoulders, knees and toes)

Head, shoulders, knees and toes


हेड, शोल्डर्स, नीज़ एंड टोज़।

सिर, कंधे, घुटने और पैर।


Head, shoulders, knees and toes

हेड, शोल्डर्स, नीज़ एंड टोज़।

सिर, कंधे, घुटने और पैर।


And eyes and ears and mouth and nose

एंड आइज़ एंड ईयर्स एंड माउथ एंड नोज़।

और आँखें, कान, मुँह और नाक।


Head, shoulders, knees and toes

हेड, शोल्डर्स, नीज़ एंड टोज़।

सिर, कंधे, घुटने और पैर।


Thursday, 22 August 2024

राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस (National Space Day)

राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस है, एक ऐसा दिन जो भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में उपलब्धियों औरभविष्य की चुनौतियों को मनाने के लिए समर्पित है। यह दिवस हमारे वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और अंतरिक्ष अन्वेषकों के योगदान को सम्मानित करता है।

आज के ही दिन 23 अगस्त 2023 को चंद्रयान 3 के लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा की सतह पर लैंड किया था। इसी दिन की याद में हर साल नेशनल स्पेस डे मनाया जाएगा।

इस लेख में, हम भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत, उसके विविध आयाम, और राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस की महत्ता पर प्रकाश डालेंगे।

भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत:

भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम 1960 के दशक में प्रारंभ हुआ। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की स्थापना 1969 में हुई थी, जिसका उद्देश्य अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना था। डॉ. विक्रम साराभाई, जिन्हें भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक माना जाता है, ने इस क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाई। उन्होंने इसरो की स्थापना के साथ ही भारत को अंतरिक्ष के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने का सपना देखा।


प्रारंभिक मिशन और उपलब्धियाँ:

भारत का पहला उपग्रह, आर्यभट्ट, 19 अप्रैल 1975 को सोवियत संघ की मदद से अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया था। यह उपग्रह भारत की अंतरिक्ष यात्रा का पहला बड़ा कदम था। इसके बाद, 1980 में, इसरो ने अपना पहला स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान (SLV-3) के माध्यम से रोहिणी उपग्रह को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया।


भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के विविध आयाम:


1. संचार और प्रसारण: इसरो ने कई संचार उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण किया है, जैसे INSAT और GSAT श्रृंखला, जो देश की दूरसंचार, प्रसारण और मौसम संबंधी सेवाओं के लिए महत्वपूर्ण हैं। 

   

2. रिमोट सेंसिंग: इसरो के रिमोट सेंसिंग उपग्रह, जैसे IRS श्रृंखला, कृषि, जल संसाधन प्रबंधन, वन प्रबंधन, और पर्यावरणीय निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये उपग्रह देश की विभिन्न जरूरतों को पूरा करने में सहायक साबित हुए हैं।


3. मंगल मिशन: 2014 में, भारत ने मंगलयान (Mangalyaan) मिशन के माध्यम से मंगल ग्रह की कक्षा में पहुंचकर इतिहास रचा। यह मिशन कम लागत में सफलतापूर्वक पूरा होने के कारण दुनिया भर में चर्चित हुआ और भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान में अग्रणी देशों में शामिल कर दिया।


4. चंद्र मिशन: भारत ने 2008 में चंद्रयान-1 मिशन लॉन्च किया, जिसने चंद्रमा पर पानी के अणुओं की खोज कर विज्ञान जगत को नई दिशा दी। इसके बाद, 2019 में चंद्रयान-2 मिशन ने चंद्रमा की सतह पर उतरने का प्रयास किया, हालांकि यह मिशन पूरी तरह से सफल नहीं हो पाया, लेकिन इसने भारत के चंद्र अन्वेषण के प्रयासों को नई प्रेरणा दी।


5. अन्य उल्लेखनीय मिशन: 2023 में, इसरो ने चंद्रयान-3 मिशन का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया, जिसने चंद्रमा की सतह पर सफल लैंडिंग कर भारत के अंतरिक्ष प्रयासों को और मजबूत किया। इसके अलावा, *गगनयान* मिशन, जो भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन होगा, भी भविष्य में प्रक्षेपित होने वाला है।


राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस की शुरुआत:

राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस की शुरुआत भारत की अंतरिक्ष यात्रा और उसके योगदानों को मान्यता देने के लिए की गई। यह दिवस हमें उन वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की याद दिलाता है जिन्होंने अपने प्रयासों से भारत को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में प्रतिष्ठा दिलाई। इस दिन, विभिन्न कार्यक्रमों और आयोजनों के माध्यम से लोगों को अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति जागरूक किया जाता है और बच्चों को इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया जाता है।


राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस का महत्त्व:

राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस न केवल भारत की अंतरिक्ष उपलब्धियों का उत्सव है, बल्कि यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में युवाओं को प्रेरित करने का भी एक महत्वपूर्ण माध्यम है। इस दिन, इसरो और अन्य संस्थाओं द्वारा विभिन्न कार्यशालाओं, विज्ञान प्रदर्शनियों, और व्याख्यानों का आयोजन किया जाता है, जिससे लोगों में अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति रुचि बढ़ती है।इसी दिन चंद्रयान 3 के लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा की सतह पर लैंड किया था। इसी दिन की याद में हर साल नेशनल स्पेस डे मनाया जाएगा।


भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम एक लंबी यात्रा का परिणाम है, जिसने देश को वैश्विक अंतरिक्ष समुदाय में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है। राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस इस यात्रा का उत्सव है और भविष्य में अंतरिक्ष अनुसंधान में नई ऊँचाइयाँ छूने के लिए प्रेरित करता है। आज, हम उन सभी वैज्ञानिकों और इंजीनियरों का सम्मान करते हैं, जिन्होंने अपने परिश्रम और समर्पण से भारत को अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक मजबूत शक्ति बनाया है।


Wednesday, 21 August 2024

सूर्यग्रहण क्या है और कितने प्रकार का होता है

सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है, जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है, जिससे सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर पूरी तरह या आंशिक रूप से नहीं पहुँच पाता। जब ऐसा होता है, तो पृथ्वी के कुछ हिस्सों में दिन के समय अंधेरा छा जाता है, और इसे सूर्य ग्रहण कहा जाता है।


सूर्य ग्रहण के मुख्यतः तीन प्रकार होते हैं:

1. पूर्ण सूर्य ग्रहण (Total Solar Eclipse):  

   इस प्रकार के ग्रहण में चंद्रमा पूरी तरह से सूर्य को ढक लेता है, जिससे सूर्य का पूरा हिस्सा दिखाई नहीं देता और आसमान में दिन के समय कुछ समय के लिए रात जैसा अंधेरा हो जाता है। यह केवल पृथ्वी के एक छोटे से हिस्से पर दिखाई देता है, जिसे 'ग्रहण की छाया' कहते हैं।

2. आंशिक सूर्य ग्रहण (Partial Solar Eclipse):

 इसमें चंद्रमा सूर्य के कुछ हिस्से को ही ढकता है, जिससे सूर्य का एक हिस्सा दिखाई देता रहता है और बाकी हिस्सा चंद्रमा के पीछे छिपा होता है। इस ग्रहण के दौरान सूर्य एक कटा हुआ गोला जैसा दिखता है।

3. वलयाकार सूर्य ग्रहण (Annular Solar Eclipse): 

इस ग्रहण में चंद्रमा सूर्य के केंद्र भाग को ढक लेता है, लेकिन उसकी किनारी (रिम) सूर्य के चारों ओर दिखाई देती है, जो एक आग के छल्ले (Ring of Fire) की तरह दिखता है। ऐसा तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी से थोड़ी दूर होता है और सूर्य को पूरी तरह से ढक नहीं पाता।

ये सभी प्रकार के सूर्य ग्रहण उस समय होते हैं जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीध में आ जाते हैं। पृथ्वी के विभिन्न हिस्सों में ये ग्रहण अलग-अलग तरह से दिखाई देते हैं।





क्या होता है बादल का फटना

यदि घर के फ्रीज यानी रेफ्रिजरेटर का दरवाजा खोल दिया जाए और कमरे के दरवाजे बंद कर दिए जाएं तो क्या कमरा ठंडा हो जाएगा या और गर्म होगा

कैसे हुआ पृथ्वी का निर्माण
चन्द्रग्रहण क्या है और कितने प्रकार का होता है

सूर्यग्रहण क्या है और कितने प्रकार का होता है