जब किसी एक स्थान पर अचानक भारी बारिश होने लगे तो उसे बदल का फटना कहते हैं.सामान्यत: बादल फटने के कारण सिर्फ कुछ मिनट तक मूसलाधार बारिश होती है लेकिन इस दौरान इतना पानी बरसता है कि क्षेत्र में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। बदल फटने का ये मतलब नही की बदल फट गया और उसके कई टुकड़े हो गए . यदि आप एक गुबारे में पानी भरकर उसे अचानक फोड़ दें तो तो क्या होगा ? सारा पाई एक साथ अचानक एक ही स्थान पर गिर जायेगा ठीक इसी प्रकार बदल फटने की प्रक्रिया होती है बादल फटने से पानी से भरे बादल की बूंदें तेजी से अचानक जमीन पर गिरती है. इसे फ्लैश फ्लड या क्लाउड बर्स्ट भी कहते हैं.
बदल क्यूँ फटते हैं?
मौसम विज्ञान के अनुसार जब बादल भारी मात्रा में आद्रता यानि पानी लेकर आसमान में चलते हैं और उनकी राह में कोई बाधा आ जाती है तो काफी ज्यादा नमी वाले बादल एक जगह पर रुक जाते हैं. वहां मौजूद पानी की बूंदें आपस में मिल जाती हैं. बूंदों के भार से बादल का घनत्व बढ़ जाता है तब वो अचानक फट पड़ते हैं, यानि संघनन बहुत तेजी से होता है। इस स्थिति में एक सीमित इलाके में कई लाख लीटर पानी एक साथ पृथ्वी पर गिरता है, जिसके कारण उस क्षेत्र में तेज बहाव वाली बाढ़ आ जाती है। बादल फटने पर 100 मिमी प्रति घंटे की रफ्तार से बारिश हो सकती है.
क्यों ज्यादातर बादल पहाड़ों पर ही फटते हैं?
बादल फटने की घटना अक्सर धरती से करीब 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर देखने को मिलती है. पानी से भरे बादल जब हवा के साथ आगे बढ़ते हैं तो पहाड़ों के बीच फंस जाते हैं. पहाड़ों की ऊंचाई इसे आगे नहीं बढ़ने देती है. पहाड़ों के बीच फंसते ही बादल पानी के रूप में परिवर्तित होकर बरसने लगते हैं. बादलों का घनत्व बहुत ज्यादा होने से बहुत तेज बारिश होती है. कुछ ही मिनट में 2 सेंटीमीटर से ज्यादा बारिश हो जाती है.
कैसे
हुआ पृथ्वी का निर्माण
चन्द्रग्रहण
क्या है और कितने प्रकार का होता है
सूर्यग्रहण
क्या है और कितने प्रकार का होता है
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