वर्तमान
परिवेश में पश्चिम का अन्धानुकरण करते हुए हम 31दिसम्बर की रात
को कडकडाती हुए ठण्ड में नव वर्ष काँप काँप कर मानतें है..पटाके फोड़ते है,मिठाइयाँ बाटते हैं और शुभकामना सन्देश भेजते है..कहीं कहीं मास मदिरा
तामसी भोजन का प्रावधान भी होता है..अश्लील नृत्य इत्यादि इत्यादि फिर भी हमें ये
युक्तिसंगत लगता है. विश्व में हजारों सभ्यताएं हुई हैं
और हजारों पद्धतियाँ है सबकी अपनी अपनी..... शायद ३१ दिसम्बर की रात या १ जनवरी को
नव वर्ष मनाने का कोई वैज्ञानिक आधार हो, मगर मैंने आज तक
नहीं देखा... फिर भी ये उनकी अपनी पद्धति है, मगर हम क्यूँ
गुलाम मानसिकता का प्रदर्शन करते हैं..विडंबना ये है की क्या कभी आप ने किसी
अमेरिकी को हिन्दू नव वर्ष मनाते देखा है..
मैं ये कहना
जरुरी समझता हूँ की १ जनवरी को कुछ भी वैज्ञानिक दृष्टि से नवीन नहीं होता मगर फिर
भी नव वर्ष होता है..
भारतीय
नव वर्ष कब मनाया जाता है : हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल
प्रतिपदा के प्रथम दिन हिन्दू नव वर्ष मनाया जाता है..ऐसी मान्यता है की सतयुग का
प्रथम दिन भी इसी दिन शुरू हुआ था..एक अन्य मान्यता के अनुसार ब्रम्हा ने इसी दिन
सृष्टि का सृजन शुरू किया था..भारत के कई हिस्सों में गुडी पड़वा या उगादी पर्व
मनाया जाता है.इस दिन घरों को हरे पत्तों से सजाया जाता है और हरियाली चारो और
दृष्टीगोचर होती है.
इस
वर्ष पश्चिमी कलेंडर के अनुसार ये वर्ष 29 मार्च 2017 को शुरू
होगा..चलिए ये तो रही मान्यताएं और इतिहास की बातें अब कुछ वैज्ञानिक तथ्यों को भी
जान लें..
भारतीय
नव वर्ष के वैज्ञानिक तथ्य:
१ चैत्र माह
मतलब हिन्दू नव वर्ष के शुरू होते ही रातें छोटी और दिन बड़े होने लगते है..
२ पेड़ों पर
नवीन पत्तियों और कोपलों का आगमन होता है..पतझड़ ख़तम होता है और बसंत की शुरुवात
होती है..
३ प्रकृति में
हर जगह हरियाली छाई होती है प्रकृति का नवश्रृंगार होता है..
४ धर्म को
मानने वाले लोग पूजा पाठ करते है मंदिर जातें है नदी स्नान करतें है..
५
भास्कराचार्य ने इसी दिन को आधार रखते हुए गड़ना कर पंचांग की रचना की।
आप ही
सोचे क्या जनवरी के माह में ये नवीनता होती है नहीं तो फिर नव वर्ष कैसा..शायद
किसी और देश में जनवरी में बसंत आता हो तो वो जनवरी में नव वर्ष हम क्यूँ मनाये ....
चलिए आप सभी
को नव वर्ष की ढेरों शुभकामनायें आशा करूँगा की ये नव वर्ष आप सभी के जीवन में
अपार हर्ष और खुशहाली ले कर आये.. जाते जाते एक जानकारी के साथ छोड़ जाता हूँ भारतीय पंचांग के महीनो के नाम और पश्चिम में
कैलेंडर में उस माह का अनुवाद
चैत्र---
मार्च-अप्रैल
वैशाख--- अप्रैल-मई
ज्येष्ठ---- मई-जून
आषाढ--- जून-जुलाई
श्रावण--- जुलाई - अगस्त
भाद्रपद--- अगस्त -सितम्बर
अश्विन्--- सितम्बर-अक्टूबर
कार्तिक--- अक्टूबर-नवम्बर
मार्गशीर्ष-- नवम्बर-दिसम्बर
पौष----- दिसम्बर -जनवरी
माघ---- जनवरी -फ़रवरी
फाल्गुन-- फ़रवरी-मार्च
वैशाख--- अप्रैल-मई
ज्येष्ठ---- मई-जून
आषाढ--- जून-जुलाई
श्रावण--- जुलाई - अगस्त
भाद्रपद--- अगस्त -सितम्बर
अश्विन्--- सितम्बर-अक्टूबर
कार्तिक--- अक्टूबर-नवम्बर
मार्गशीर्ष-- नवम्बर-दिसम्बर
पौष----- दिसम्बर -जनवरी
माघ---- जनवरी -फ़रवरी
फाल्गुन-- फ़रवरी-मार्च
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